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Fascination About Mahavidya tara

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ॐ गुरुभ्यो आं पं फं बं भं मं ओं एनटीआर त्रयाय वौषट्(दोनों नेत्रों को स्पर्श करें) मंत्र साधना केवल अकेला साधक ही कर सकता है. मनुष्य का मूल स्वभाव है शिशुवत् रहना। प्यार से कोई उसको बेटा कह देता है तो कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो, मन https://www.youtube.com/watch?v=GMMWwN9ho2U&t=6s
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